Description
यह पुस्तक इस्कॉन के संस्थापकाचार्य श्रील प्रभुपाद के साथ बातचीत के रूप में निबन्धों का संग्रह है। श्रील प्रभुपाद पुनर्जन्म, अनियंत्रित चौन, गोहत्या, मांस भक्षण, आत्मा का अस्तित्व, समाज का सुधार, वैज्ञानिक प्रगति इत्यादि विषयों पर वैदिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं। श्रील प्रभुपाद की शिक्षा तथा उनका जीवन यह प्रदर्शित करते हैं कि प्राचीन वेदों का सन्देश किसी भी तरह पुराना नहीं हो गया है, किन्तु यह आधुनिक काल में भी सभी लोगों के लिए सुसंगत है।
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